हरिद्वार

घोटाला: अधिकारियों की दरियादिली के चलते निगम से लाखों का लाभ कमा रही अनुबंधित कंपनी!

हरिद्वार। शहर में बिगड़ी हुई सफाई व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं लें रही है। शहर के चौक-चौराहे कूड़े के ढेर से सजे हुए है। निगम कर्मचारी कूड़ा उठान कंपनी पर मेहरबान है। जिस कारण लोगों व जनप्रतिनिधियों की शिकायत के बाद भी व्यवस्था को सुधारने या फ़िर कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने के नाम पर निगम के अधिकारी फिसड्डी साबित हो रहे है। नगर निगम हरिद्वार द्वारा उपनगरी ज्वालापुर से कूड़ा निस्तारण व डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए वाटर ग्रेस एकॉन कंपनी के साथ अनुबन्ध किया हुआ है। अनुबंधित कंपनी को नगर निगम हर माह भारी भरकम भुगतान कूड़ा निस्तारण के लिए प्राप्त कर रही है। लेकिन व्यवस्था बदहाल है।
गौरतलब है कि निगम से हर माह लाखो का भुगतान लेकर मोटा मुनाफ़ा कमाने वाली एकॉन द्वारा उपनगरी में मात्र 20 प्रतिशत ही डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन किया जा रहा है। ज्वालापुर की आधी से ज़्यादा आबादी कूड़ा सड़क पर डालने व 70 रुपये प्रतिमाह देकर प्राइवेट कर्मचारियों से उठवाने को मजबूर है। जिसका मुख्य कारण कंपनी पर संसाधनों की कमी है, जिसके लिए नगर निगम अधिकारियों का साफ कहना है कि अनुबन्ध के अनुसार कंपनी को कूड़ा परिवहन व डोर टू डोर कलेक्शन के लिए वाहन अपने ही इस्तमाल करने हैं बावजूद इसके एकॉन द्वारा लगभग डेढ़ वर्ष में एक भी रिक्शा डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए नही लगाया गया है। वर्तमान में भी कंपनी नगर निगम के रिक्शा का इस्तेमाल कर रही है जो सीधा सीधा अनुबन्ध की शर्तों का उलंघन है। निगम के संसाधनों का उपयोग कर कंपनी निगम से ही लाखों का भुगतान वसूल रही है। वहीं एमएनए की सख़्ती और कम्पनी से तलब की गई उनके कार्यों की रिपोर्ट भी बेअसर साबित हुई। सवाल अधिकारियों की कार्यशैली पर भी खड़े होते है कि आखिरकार अनुबंध के अनुसार सफाई व्यवस्था दुरस्त न करने के बाद भी कंपनी पर इतनी मेहरबानी क्यों दिखाई जा रही है। कंपनी पर संसाधन बढ़ाने के लिए भी कोई खास जोर नहीं दिया जा रहा है। जिस कारण लोग पैसे देकर कूड़ा उठाने को मज़बूर है।

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